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यहाँ कौन सुखी है / शैल चतुर्वेदी
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10:07, 1 दिसम्बर 2008
क्या इसलिए
पंचो के सामने प्रतिज्ञा की थी
हमाते
हमारे
बाप ने
गाय समझकर दी थी।"
गाँव की हूँ
गाय और भैसों के बीच में रही हूँ
फिल
फिर
कभी चाय की मत कहना
हरग़िज़ नहीं पिउँगी
अगर अपनी पर आ गई
बात है साल भर पहले की
अब तक पी रहीं है।
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