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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत शर्मा }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> यह जो बस्ती में डर न...
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{{KKRachna
|रचनाकार=नवनीत शर्मा
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
यह जो बस्ती में डर नहीं होता
सबका सजदे में सर नहीं होता
तेरे दिल में अगर नहीं होता
मैं भी तेरी डगर नहीं होता
रेत के घर पहाड़ की दस्तक
वाक़िया ये ख़बर नही होता
ख़ुदपरस्ती ये आदतों का लिहाफ़
ख़्वाब तो हैं गजर नहीं होता
मंज़िलें जिनको रोक लेती हैं
उनका कोई सफ़र नहीं होता
पूछ उससे उड़ान का मतलब
जिस परिंदे का पर नहीं होता
आरज़ू घर की पालिए लेकिन
हर मकाँ भी तो घर नहीं होता
तू मिला है मगर तू ग़ायब है
ऐसा होना बसर नहीं होता
इत्तिफ़ाक़न जो शे`र हो आया
क्या न होता अगर नहीं होता.
</poem>
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|रचनाकार=नवनीत शर्मा
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
यह जो बस्ती में डर नहीं होता
सबका सजदे में सर नहीं होता
तेरे दिल में अगर नहीं होता
मैं भी तेरी डगर नहीं होता
रेत के घर पहाड़ की दस्तक
वाक़िया ये ख़बर नही होता
ख़ुदपरस्ती ये आदतों का लिहाफ़
ख़्वाब तो हैं गजर नहीं होता
मंज़िलें जिनको रोक लेती हैं
उनका कोई सफ़र नहीं होता
पूछ उससे उड़ान का मतलब
जिस परिंदे का पर नहीं होता
आरज़ू घर की पालिए लेकिन
हर मकाँ भी तो घर नहीं होता
तू मिला है मगर तू ग़ायब है
ऐसा होना बसर नहीं होता
इत्तिफ़ाक़न जो शे`र हो आया
क्या न होता अगर नहीं होता.
</poem>