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Kavita Kosh से
कि जिसके हाथ में देखी हैं अक्सर आरियाँ हमने
सजाया मेमना चाकू तराशा,ढिल ढोल बजवाए,
बलि के वास्ते निपटा लीं सब तैयारियाँ हमने.
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