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Kavita Kosh से
मैं तो बस थोड़ा सा ही समय निकाल पाती हूँ अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का, हिन्दी के विद्वानों को तो आप जानते ही हैं, मेरा तो तुच्छ सा सफ़ल या असफल प्रयास मात्र रहता है, आभारी हूँ मार्ग दर्शन कराते रहियेगा।
आदरणीय भावनाजी!नहीं, बात मार्गदर्शन की नहीं है। मेरे जैसा व्यक्ति मार्गदर्शन कर भी नहीं सकता क्योंकि जो ख़ुद ही भाषा आधी-अधूरी जानता हो वो क्या मार्गदर्शन करेगा। लेकिन आप या रामेश्वर जी गांधी गंध, गंदा, गंदगी, गंगा, नंगा, दंगा आदि के बारे में भी बता दें तो कृतज्ञ रहूंगा।दूसरी बात-- यह 'शिरोरेखा'क्या चीज़ है?सादरअनिल जनविजय