गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हे ग्राम देवता ! नमस्कार ! / रामकुमार वर्मा
3 bytes added
,
09:12, 19 अप्रैल 2008
जिनमें दधीचि की हड्डी है,
यह वज्र इंद्र का है
पंचंड
प्रचंड
!
जो है गतिशील सभी ऋतु में
ये ढाल अभी से बने
छीन
नेने
लेने
को दुर्दिन के प्रहार !
हे ग्राम देवता ! नमस्कार !
Anonymous user
210.212.160.101