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सियाह नक़ाब में उसका संदली चेहरा
जैसे रात की तारिकी तारीकी में
किसी ख़ानक़ाह का
खुला और रौशन ताक़
ग़मगीन मुहब्बत के मुक़द्दस अशआर से मुंतख़ीब हो
एक पाकीज़ा मंजर मंज़र
सियाह नक़ाब में उसका संदली चेहरा
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