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Kavita Kosh से
'''<sup>प्यारे बच्चों,
आज आपके लिये एक काव्य-कथा ले कर आयी हूँ- महलो की रानी
<br />आशा है कहानी आपको पसन्द आएगी।<br />
<br />महलो की रानी
<br /><br />एक कहानी बड़ी पुरानीआज पुरानी<br />आज सुनो सब मेरी जुबानी
<br />विशाल सिन्धु का पानी गहरा
<br />टापू एक वहाँ पर ठहरा
<br /><br />छोटा सा टापू था प्याराकुदरत प्यारा <br />कुदरत का अद्बुत सा नज़ारा
<br />स्वर्ग से सुन्दर उस टापू पर
<br />मछलियाँ आ कर बैठती अक्सरधूप अक्सर<br /><br />धूप मे अपनी देह गर्माने
<br />टापू पे बैठती इसी बहाने
<br />उसपर इक जादू का महल था
<br />अब न रक्षा करेगा पानी
<br />महल को मिल गई उसकी रानी
<br />खत्म हो गई मेरी कहानी'''<br />
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