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|रचनाकार=मंगलेश डबराल
|संग्रह=घर का रास्ता / मंगलेश डबराल
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<poem>
प्यारे पत्ते हो तुम उन्होंने कहा
कोमल और हिलते हुए
रह लेता है कहीं भी
गहरी सांस लेता हुआ।
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