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फिर घर / अशोक वाजपेयी

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और हमेशा की तरह बिना कुछ बोले
हमें देखेंगे और मेज पर लगा रात का खाना खाएंगे
और खखूरेंगे अल्मारी अलमारी में कोई मीठी चीज़।
हम थककर सो जाएंगे
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