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ऊंचाई मनुष्य को अपने परिवेश से, <br>
करती है अलग,<br>
ऊंचाई चाहे पद की हो,<br>
पैसे की हो या ज़ान की,<br>
मनुष्य सहज नहीं हो पाता,<br>
अपने स्तर की चाह में वो,<br>
कहीं सुकून नहीं पाता,<br>
स्तर की समानता है आवश्यक,<br>
समानता जुड़ने का है एक माध्यम,<br>
असमानता में मानव टूट सकता है,<br>
किन्तु वह सहज नहीं हो पाता।<br>
विचारों की असमानता,<br>
संबंधों के टूटने का,<br>
है एक विशेष कारण,<br>
विचारों की असमानता ,<br>
मनुष्य को अनजाने ही,<br>
कठोर बना देती है,<br>
आत्म विस्तार के अभाव में,<br>
अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को ,<br>
दांव पर लगा देती है।<br>
झगड़ा रिश्तों का नहीं,<br>
विचारों का होता है,<br>
विचारों के झगड़े में ही,<br>
मानव रिश्तों को खोता है।<br>
रिश्तों को निभाने का वह ,<br>
असफल प्रयास करता है,<br>
किन्तु अपनी सोच के परिवर्तन का,<br>
कोई उपचार नहीं करता,<br>
हर समस्या का समाधान ,<br>
हर एक के दिल में होता है,<br>
विश्वास,आत्मीयता,सही सोच,<br>
रिश्तों को बनाये रखने का,<br>
अचूक हल होता है।<br>
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