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|संग्रह=जिप्सी लड़की / अवधेश कुमार
}}
[[Category:कविता]]<Poempoem>
नौमंज़िला इमारत चढ़ने में लगता है समय
जितना कि नौमंज़िला कविता लिखने में नहीं लगता ।
इतनी दूर-
और नौ मंज़िल ऊपर
नहीं मिल पाता जब मैं उस दोस्त से : , वह मुझे
जब बहुत दिनों बाद मिलता है
तो पूछता है कि
क्यों नहीं कर लिया मैंने उसको फ़ोन ?
</poem>