भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरज आमेटा ’धीर’ }} <poem> इश्क़ में क्या लुटा, किसे ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धीरज आमेटा ’धीर’
}}
<poem>
इश्क़ में क्या लुटा, किसे रोता?
जो न पाया था उसको क्या खोता!

एक बस चैन ही गंवाया था,
रंज उसका भी कब तलक होता?

दिल ने इक बद्दुआ भी दी होती,
क्या सितमगर युँ चैन से सोता?

नीयते राह्बर परख लेना,
हर कोई रहनुमा नहीं होता!

मेरी ग़ज़लें हैं बाज़-गश्ते-जहाँ
जैसे पिंजरे में बोलता तोता!

</poem>
18
edits