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12:23, 1 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2
}}
<poem>
दिशाओं पर
झुका हुआ एक मुख
निहार रहा है
पृथ्वी के एक फूल को
अति प्राचीन
रोमानी शैली में अधोमुख
फूल, एकटक देखे जा रहा है
अपने निहारने वाले को
दिशाओं पर
अभिभूत वह वसंत है
और
वह फूल ?
</poem>