भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=व्योमेश शुक्ल
}}
कहने को यही था कि किशोर अब गुब्बारे में चला गया है लेकिनवहाँ रहना मुश्किल है दुनिया से बचते हुएखाने नहाने सोने प्यार करने कोदुनिया में लौटना होता है किशोर को भी
यदि कोई बनाये तो किशोर का चित्र सिर्फ काले रंग से बनेगा
Anonymous user