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किशोर / व्योमेश शुक्ल

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|रचनाकार=व्योमेश शुक्ल
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कहने को यही था कि किशोर अब गुब्बारे में चला गया है लेकिनवहाँ रहना मुश्किल है दुनिया से बचते हुएखाने नहाने सोने प्यार करने कोदुनिया में लौटना होता है किशोर को भी
यदि कोई बनाये तो किशोर का चित्र सिर्फ काले रंग से बनेगा
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