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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=भारतेंदु हरिश्चंद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:भारतेंदु हरिश्चंद्रपद]]
तेरी अँगिया में चोर बसैं गोरी !