मिल कर चोर- चोर चिल्लाये,
जनता सिर धुनकर पछताये।
  अब तक  इस विधा की बहुत सी काव्य क्रितियां प्रकाशित होचुकीं हैं। अब श्री जगत नारायन पांडे  व
डा  श्याम गुप्त द्वारा अगीत महाकाव्य,खन्ड काव्य लिखे गये हैं।--
महाकाव्य--
     -सौमित्र गुणाकर  ( श्री ज.ना. पान्डे--श्री लक्छ्मण जी के चरित्र चित्रण पर)
    - स्र ष्टि (ईषत इच्छा या बिगबैन्ग-एक अनुत्तरित उत्तर)-डा श्याम गुप्त
खन्ड काव्य-
      -मोह और पश्चाताप( ज.ना. पान्डे- राम कथा )
      -शूर्पनखा (डा श्याम गुप्त)
 आज इस विधा  मैं सात प्रकार के छन्द प्रयोग होरहे हैं--
     १.अगीत छन्द  -अतुकान्त ,५ से ८ पन्क्तियां
     २. लयबद्ध अगीत--अतुकान्त,५ से १० पन्क्तियां,लय व गति युक्त
     ३ .गतिबद्ध सप्त पदी अगीत -सात पन्क्तियां, अतुकान्त ,गतिमयता 
      ४ .लयबद्ध षट्पदी अगीत-छ्ह पन्क्तियां,१६ मात्रा प्रत्येक  मैं निश्चित ,लय्बद्धता 
      ५.नव अगीत -अतुकान्त ,३ से ५ तक पन्क्तियां, 
      ६ .त्रिपदा अगीत --तीन पन्क्तियां,१६ मात्रा निश्चित ,लय,गति ,तुकान्त बन्धन नहीं
       ७,त्रिपदा अगीत गज़ल --त्रिपदा अगीत की मालिका,प्रथम छन्द की तीनों पन्क्तियों
                       मैं वही अन्त्यानुप्रास,अन्य मैंअन्तिम पन्क्ति मैंवही शब्द 
                                  आव्रत्ति  ।