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17:14, 2 मई 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तरकश / ऋषभ देव शर्मा
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<Poem>
चोरों का सम्मान, आजकल मेरे भैया
छेड़ नया अभियान, आजकल मेरे भैया
आतंकी भस्मासुर पीछे पड़ा हुआ है
ख़तरे में भगवान, आजकल मेरे भैया
साँपों के मुँह में बच्चों का खून लग गया
डरा हुआ ईमान, आजकल मेरे भैया
उतरे आदमखोर, गमकती अमराई में
लेकर तीर कमान, आजकल मेरे भैया
अवतारों की राह जोहते, मुँह को बाए
गीता और कुरान, आजकल मेरे भैया
तिमिर तोड़ने की तकनीकें अंध पिता से
पूछ रही संतान, आजकल मेरे भैया
फसल बचानी है ज़हरीले नख दंतों से
बाँधो एक मचान, आजकल मेरे भैया </Poem>