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{{KKRachna
|रचनाकार=नागार्जुन
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
}}
[[Category:गीत]] <poem>
लहरों की थाप है
मन के मृदंग पर बेतवा-किनारे
गीतों में फुसफुस है
गीत के संग पर बेतवा-किनारे
क्या कहूँ, क्या कहूँ
पिकनिक के रंग पर बेतवा-किनारे
मालिश फ़िज़ूल है
पुलकित अंग-अंग पर बेतवा-किनारे
लहरों की थाप है
मन के मृदंग पर बेतवा-किनारे
'''(1979 में रचित)</Poem>