1,031 bytes added,
11:23, 6 जुलाई 2006 लेखक: [[जयशंकर प्रसाद]]
[[Category: जयशंकर प्रसाद]]
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती -<br>
स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती -<br>
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो,<br>
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो।<br><br>
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।<br>
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी।<br>
अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो,<br>
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो।<br><br>