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आह को चाहिये इक उम्र असर होते तक / ग़ालिब
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08:11, 18 मई 2009
यक नज़र बेश नहीं फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल <br>
गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-
शर
शरर
<ref>चिंगारी का नृत्य
</ref> होने तक <br><br>
</ref>इलाज <br>
शम्म'अ हर रंग में जलती है सहर होने तक <br><br>
{
{KKMeaning}}
द्विजेन्द्र द्विज
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