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16:06, 19 जून 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
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'''हाइकू'''
''मिलन''
बुझती प्यास
तन-मन हरसें
बूँदें बरसे
''प्रेम''
हाथ में हाथ
अंतिम घड़ी तक
सर्वथा साथ
''मैत्री''
दो मीठे बोल
बाँध चलते मन
ग्रंथियाँ खोल
''आकर्षण''
हेरती मन
इन्द्रधनुषी धूप
तुम्हारा रूप
''कामना''
बहुत रातें
बाँह पर हो सिर
प्यार की बातें
''शाम''
गागर फूटी
गिरा गुलाबी रंग
नदी के अंग
''विरह''
मन पागल
घिर-घिर उमडे़
काले बादल
''मुक्ति''
छूटते सब
पीड़ा से छुटकारा
जीवन हारा
''मृत्यु''
पींजर टूटा
ताकती दिशा शून्य
लो हंसा छूटा
''घर''
डालियों पर
चहक रही भीड़
लौटती नीड़
''माँ''
मन में चिंता
प्यार पगी कविता
घूप-सरिता
''पिता''
बड़ की छाँह
पकड़ाए उँगली
नेह की बाँह
''बच्चे''
प्राण की गंध
सपने, आशा, मोह
रक्तसंबंध
''नियती''
जीवन आँसू
सावन में, भादों में
अनुरागों में
''कुर्सी''
सिंहासन है
सरका तो दुर्दशा
नशा ही नशा
''नेता''
फिसल गया
पानी जितना पडा़
चिकना घडा़
''चाय''
गरम घूँट
गुनगुनाती प्याली
जीभ जला ली
''ग्रीष्म''
तमतमाया
दोपहर का रूप
कहाँ है कूप
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