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16:38, 19 जून 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
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'''हृदय'''
कैसा बावला बालक है रे!
:::न झुनझुने की झनझनाहट से बहलता है
::: न घंटियों से
::: न खिलौनों से,
::: न खेल से--।
::::: नेह की ऊष्मा का
::::: माध्यम
::::: क्या तो हो भला?
</poem>