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घनानंद
,* '''[[सुजान सागर / घनानंद]]''' (कविता-संग्रह)
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* [[भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी / घनानंद]]
* [[वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै / घनानंद]]
* [[ तोहि तौ खेल पै / घनानंद]]
* [[ मही-दूध सम गनै / घनानंद]]
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