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केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ
कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं,
भौंहिनि नचाइ मृदु मुसिकाइ दावभाव
लीने कर बेली अलबेली सु अकेली तिय
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