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अगर न ज़ोहरा जबीनों के दरमियाँ गुज़रे / जिगर मुरादाबादी
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अगर न ज़ोहरा जबीनों के दरमियाँ गुज़रे
तो फिर ये कैसे कटे ज़िन्दगी कहाँ गुज़रे
Shrddha
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