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{{KKCatNavgeetkaar}}
*[[नदी की धार चट्टानों पै पे, जब आकर झरी होगी / ललित मोहन त्रिवेदी]]*[[नींद आती नहीं है ,ये क्या हो गया / ललित मोहन त्रिवेदी]]*[[वहीं तक पाँव हैं मेरे ,जहाँ तक है दरी मेरी / ललित मोहन त्रिवेदी]]
*[[आँख से अश्क भले ही न गिराया जाये / ललित मोहन त्रिवेदी]]
*[[खूब पता था वो सागर है खारा पानी है / ललित मोहन त्रिवेदी]]
*[[धार कटकर पत्थरों के पार क्या जाने लगी / ललित मोहन त्रिवेदी]]
*[[मैं अंगारा तुम अगर तपन से प्यार करो तो आजाना / ललित मोहन त्रिवेदी]]