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Kavita Kosh से
बन पराग, उडा़ दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!
लाल लाल, कोमल पंखुरियाँ, अजुरी भरी गुलाल
रंग भीना, मन मानस तरसे, जपाकुसुम का फूल!
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