भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखो न... / प्रतिभा सक्सेना

No change in size, 08:47, 13 सितम्बर 2009
}}
<poetpoem>
दो-चार यूनिफ़ार्मवाले भूरे स्वेटर बिखरे हैं,
मोज़े उतारे हुए इधर-उधर डाल गए,
देखतीं अवाक् खड़ी,
और यहाँ कोई नहीं!
</poetpoem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits