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Kavita Kosh से
दौलत तो तेरे याँ ही न काम आवेगी बाबा!
दाता की तॊ मुश्किल कोई अटकी नहीं रहती
तो याद यह रख बात की जब आवेगी सख़्ती
यह तो न किसी पास रही है न रहेगी
जब तक तू जीएगा, यह तुझे चैन न देगी
जब मौत का होवेगा तुझे आन के धड़का
कुप्पों में रूपै डाल के जब देवेंगे भड़का
तू लाख अगर माल के सन्दूक भरेगा
वह नाच मज़ा देखेगा और ऎश करेगा
उसके तो वहाँ ढोलक व मृदंग बजेगी
ता हश्र तेरी रुह को फिर कल न पड़ेगी
गर होश है तुझ में, तो बख़ीली का न कर काम
ज़िन्हार न लेगा कोई उठ सुभ तेरा नाम