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रूप की चाँदनी सोज़े-दिल<ref>दिल का दुख</ref> सोज़े-दिल
मौज़े-गंगो-जमन साज़े-जाँ<ref>जीवन राग</ref> साज़े-जाँ।
अहदो-पैमाँ कोई, हुस्न भी क्या करे
इश्क़ भी तो है कुछ बदगुमाँ-बदगुमाँ।
जैसे कौनैन<ref>विश्व</ref> के दिल प हो बोझ सा
इश्क़ से हुस्न है सरगराँ-सरगराँ।
क्यों फ़ज़ाओं की आँखों में थे अश्क़ से
वो सिधारे हैं जब शादमाँ-शादमाँ।
लब प आयी न वो बात ही हमनशीं<ref>साथी</ref>
आये क्या-क्या सुख़न दरम्याँ-दरम्याँ।
ढूँढते-ढूँढते ढूँढ लेंगे तुझे
गो निशा है तेरा बेनिशाँ-बेनिशाँ।
मेरे दारुल-अमाँ<ref>शान्ति की जगह</ref>, ऐ हरीमे-निगार<ref>महबूब के घर की चहरदीवारी </ref>
हम फिरें क्या युँही बेअमाँ-बेअमाँ।
यूँ घुलेगा-घुलेगा, तेरे इश्क़ में
रह गया इश्क़, अब उस्तुख़ाँ<ref>हड्डी</ref>-उस्तुखाँ।
हमको सुनना बहरहाल तेरी ख़बर
माजरा-माजरा, दास्ताँ-दास्ताँ।
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