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Kavita Kosh से
लेकर झोली आये ऊपर,
देखकर चले तत्पर वानर।
द्विज राम-भक्त, भक्ति के की आश
भजते शिव को बारहों मास;
कर रामायण का पारायण
दुख पाते जब होते अनाथ,
कहते कपियों से जोड़ हाथ,