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Kavita Kosh से
::बादल, गरजो!--
घेर घेर घोर गगन, धाराधर जो!
:ललित ललित, काले घँघरालेघुँघराले,
:बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!