गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पैर उठे, हवा चली। / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
466 bytes added
,
10:08, 17 अक्टूबर 2009
शाख-शाख तनी तान,
विपिन-विपिन खिले गान,
खिंचे नयन-नयन प्राण,
गन्ध-गन्ध सिंची गली।
पवन-पवन पावन है
जीवन-वन सावन है,
जन-जन मनभावन है,
आशा सुखशयन-पली।
दूर हुआ कलुष-भेद,
कण्टके निस्पन्ध छेद,
खुले सर्ग, दिव्य वेद,
माया हो गई भली।
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits