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और न अब भरमाओ / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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12:02, 17 अक्टूबर 2009
ऐसे अकेले बचाओ,
छोड़कर दूर न जाओ।
खाली पूरे हाथ गये हैं,
ऊपर नये-नये उनये हैं,
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