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यह कदम्ब का पेड़-2 / सुभद्राकुमारी चौहान
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10:41, 18 अक्टूबर 2009
तुम घबराकर आंख खोलतीं, और मां खुश हो जातीं
इसी तरह खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे
यह कदंब का पेड़ अगर मां होता जमना तीरे ।। </poem>
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