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आछो गात अकारथ गार्‌यो / सूरदास

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{{KKRachna
|रचनाकार=सूरदास
}} राग सारंग[[Category:पद]]राग सारंग
<poem>
आछो गात अकारथ गार्‌यो।
 
करी न प्रीति कमललोचन सों, जनम जनम ज्यों हार्‌यो॥
 
निसदिन विषय बिलासिन बिलसत फूटि गईं तुअ चार्‌यो।
 
अब लाग्यो पछितान पाय दुख दीन दई कौ मार्‌यो॥
 
कामी कृपन कुचील कुदरसन, को न कृपा करि तार्‌यो।
 
तातें कहत दयालु देव पुनि, काहै सूर बिसार्‌यो॥
</poem>
भाव :- `जनम....हार्‌यो' = प्रत्येक जन्म में व्यर्थ ही सुन्दर शरीर नष्ट कर दिया।
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