भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सदस्य वार्ता:अनिल जनविजय

862 bytes added, 13:56, 19 अक्टूबर 2009
जनविजय जी! मैंने ’निराला’ जी के संग्रह ’अनामिका’ का टंकण पूरा कर लिया है। अब ’निराला’जी की ’अर्चना’ टंकित करने जा रहा हूँ। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
 
जनविजय जी! मैं सूरदास के पदों को पढ़ रहा था तो मैंने पाया कि कविता वाले पन्ने में ही कविता का भावार्थ भी लिखा हुआ है। मेरे विचार में कविता के ’भावार्थ’ का पन्ना अलग से होना चाहिए या फिर ’संवाद’ वाले पन्ने में भावार्थ होना चाहिए। । कविता के साथ भावार्थ थोड़ा अटपटा सा लगता है। आपके विचार जानना चाहूँगा। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits