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|संग्रह=अकेले कंठ की पुकार / अजित कुमार
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हर बात जो कही थी,
हर काम जो किया,
हर पीर जो सही थी,
हर नाम जो लिया...
कैसे कहूँ, अनामे।
हर एक में तुम्हीं थीं,
विपदा न कम रही थी,
संघर्ष में जिया।
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