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Kavita Kosh से
|रचनाकार=शैलेय
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मोड़ के इस पार
सिर्फ इधर का दृश्य ही दिखाई दे रहा है
उस पार
सिर्फ उसी दिशा की चीजें
ठीक मोड़ पर खड़े होने पर
दृश्य
दोनों तरफ के दिखाई दे रहे हैं
किन्तु सभी कुछ धुंधला
दृश्यों के हिसाब से
जीवन बहुत छोटा
दोनों तरफ की यात्राएं कर पाना कठिन
काश !
किसी मोड़ पर
दोनों तरफ के यात्री
मिल-बैठकर कुछ बातचीत करते।
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