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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatKavita}}<poem>तुम मेरे जीवन के मरुथल
में सावन की रिमझिम जैसी
आई हो लेकर रतनारे
छूट गया हर एक विशेषण
तुम ही मेरा कुल परिचय-सी।
</poem>