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'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार : =आरसी प्रसाद सिंह''' |संग्रह=}}{{KKCatNavgeet}}<poem>
जीवन क्या है निर्झर है
 
मस्ती ही इसका पानी है
 
सुख दुख के दोनों तीरों से
 
चल रहा राह मनमानी है
</poem>
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