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भोजपुर / नागार्जुन

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[[Category:नागार्जुन]]
[[Category:कविताएँ]]
{{KKSandarbh
|लेखक=नागार्जुन
|पुस्तक=
|प्रकाशक=
|वर्ष=
|पृष्ठ=
}}

'''1'''<br><br>

यहीं धुआँ मैं ढूँढ़ रहा था<br>
यही आग मैं खोज रहा थाऊ<br>
यही गंध थी मुझे चाहिए<br>
बारूदी छर्रें की खुशबू!<br>
ठहरो–ठहरो इन नथनों में इसको भर लूँ...<br>
बारूदी छर्रें की खुशबू!<br>
भोजपुरी माटी सोंधी हैं,<br>
इसका यह अद्भुत सोंधापन!<br>
लहरा उठ्ठी<br>
कदम–कदम पर, इस माटी पर<br>
महामुक्ति की अग्नि–गंध<br>
ठहरो–ठहरो इन नथनों में इसको भर लूँ<br>
अपना जनम सकारथ कर लूँ!<br><br>

'''2'''<br><br>

मुन्ना, मुझको<br>
पटना–दिल्ली मत जाने दो<br>
भूमिपुत्र के संग्रामी तेवर लिखने दो<br>
पुलिस दमन का स्वाद मुझे भी तो चखने दो<br>
मुन्ना, मुझे पास आने दो<br>
पटना–दिल्ली मत जाने दो<br><br>

'''3'''<br><br>

यहाँ अहिंसा की समाधि है<br>
यहाँ कब्र है पार्लमेंट की<br>
भगतसिंह ने नया–नया अवतार लिया है<br>
अरे यहीं पर<br>
अरे यहीं पर<br>
जन्म ले रहे<br>
आजाद चन्द्रशेखर भैया भी<br>
यहीं कहीं वैकुंठ शुक्ल हैं<br>
यहीं कहीं बाधा जतीन हैं<br>
यहां अहिंसा की समाधि है...<br>

'''4'''<br><br>

एक–एक सिर सूँघ चुका हूँ<br>
एक–एक दिल छूकर देखा<br>
इन सबमें तो वही आग है, ऊर्जा वो ही...<br>
चमत्कार है इस माटी में<br>
इस माटी का तिलक लगाओ<br>
बुद्धू इसकी करो वंदना<br>
यही अमृत है¸ यही चंदना<br>
बुद्धू इसकी करो वंदना<br><br>

यही तुम्हारी वाणी का कल्याण करेगी<br>
यही मृत्तिका जन–कवि में अब प्राण भरेगी<br>
चमत्कार है इस माटी में...<br>
आओ, आओ, आओ, आओ!<br>
तुम भी आओ, तुम भी आओ<br>
देखो, जनकवि, भाग न जाओ<br>
तुम्हें कसम है इस माटी की<br>
इस माटी की/ इस माटी की/ इस माटी की <br><br>