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|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
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डाकिया
हांफता है
धूल झाड़ता है
चाय के लिए मना करता है
डाकिया
अपनी चप्पल
फिर अंगूठे में संभालकर
फँसाता है
और, मनीआर्डर के रुपये
गिनता है.
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