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बारिश-2 / परवीन शाकिर

269 bytes added, 13:17, 31 मार्च 2011
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन शाकिर
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<poem>
कैसी-कैसी विनती की थी
प्यारी धीरे-धीरे बोल
भरा घर जाग उठेगा लेकिन जब उसके आने की घड़ी हुईसुबह से ऐसी झड़ी लगी उम्र में पहली बार मुझे बारिश अच्छी नहीं लगी
</poem>