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16:22, 14 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र
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म्हारी सेजाँ आवो जी लाल बिहारी।
रंग-रँगीली सेज सँवारी, लागी छे आशा थारी।
बिरह-बिथा बाढ़ी घणी ही, मैंसौं नहिं जात सँभारी।
’हरीचंद’ सो जाय कहो कोऊ तलफै छे थारे बिन प्यारी॥
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