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'''क़ैदी जो था वो दिल से ख़रीदार हो गया'''
भाई राजीव जी
अमीर
मीनाई की ग़ज़लें कविता कोश में दे कर आप बहुत महत्व का काम कर रहे हैं.
'''क़ैदी जो था वो दिल से ख़रीदार हो गया'''इस रचना को मूल स्त्रोत से मिलाइये.
वर्तनी की बहुत ग़लतियाँ हैं.मुझे इसमें कुछ ज़्यादा गड़
बड़ दिखाई दे रही है.
लेकिन मेरे पास अमीर मीनाई साहब की एक भी ग़ज़ल नहीं है.
संभव हो तो पाठकों की सुविधा के लिए उर्दू शब्दों के अर्थ भी जुटाने का प्रयास कीजिए.
'''--[[सदस्य:द्विजेन्द्र द्विज|द्विजेन्द्र द्विज ]] 1 दिसम्बर,2009'''
आदरणीय राजीव जी