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कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो
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04:14, 7 दिसम्बर 2009
कभी करत है रुखे नैंन।
ऐसा जग में कोऊ होता,
ऐ
सखी
सखि
साजन न सखि! तोता।।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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