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इसी तट पर / शांति सुमन

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|रचनाकार=शांति सुमन
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<poem>
अपरिचय का आकाश तोड़ें
एक लंबा अतराल जोड़ें
<br>अपरिचय का आकाश तोड़ें<br>एक लंबा अतराल जोड़ें<br><br>कहाँ बहुत मिलते हैं, फुरसत के दिन<br>फंसे हैं किताबों में तितली के पिन<br>पिछले छूटे सवाल कोड़ें<br><br>धूप-हवा-बिजली सी लगती बातें<br>पदमावत की कथा सी जगती रातें<br>दुखते सारे मिसाल छोड़ें<br><br>अंकुर की प्यास लिए हरियाये खेत<br>कहीं दूर फेंकें ये ओसायी रेत<br>दिशाएं तरंगों की मोड़ें<br>
धूप-हवा-बिजली सी लगती बातेंपदमावत की कथा सी जगती रातेंदुखते सारे मिसाल छोड़ें अंकुर की प्यास लिए हरियाये खेतकहीं दूर फेंकें ये ओसायी रेतदिशाएं तरंगों की मोड़ें<br/poem>
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