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हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए / ख़ुमार बाराबंकवी
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14:30, 12 दिसम्बर 2009
सामने आईना रख लिया कीजिए
आप सुख से हैं तर्के-तआल्लुक़<ref>संबंध-विच्छेद</ref> के बादइतनी जल्दी न ये
फ़ै
सला
फ़ैसला
कीजिए
कोई धोखा न खा जाए मेरी तरह
द्विजेन्द्र द्विज
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