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निरंजन धन तुम्हरो दरबार / कबीर

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{{KKRachna
|रचनाकार=कबीर
}}
कहत कबीर फकीर पुकारी, जग उल्टा व्यवहार ।।<br />
निरंजन धन तुम्हरो दरबार ।<br />
}}